गुमसुम सी तनहाइयों मे जैसे कोई छू जाता है
अपने यहीं पे होने का एहसास दिलाता है
तडप उठता है बेचैन दिल तुम से मिलने के लिये
आँसु आँखों मे छूपाये फिर सहम जाता है
..............................Shubhashish(1998)
Tuesday, January 09, 2007
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