दर्द बन कर दफन हो गयी सीने मे हर बात
ना समझा सके हम अपनी मजबूरीयाँ और हालात
वक्त ने इस लायक भी नहीं छोडा की कोई शिकवा करें
बिन नींद आसुओं के सगं गुजरती है हर रात
.......................................... Shubhashish(2000)
Wednesday, January 10, 2007
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