देख के भी तुने कितनी बार अनदेखा किया
पर दिल आखों मे आंसू भर के भी मुस्कूराया है
तेरी चाहत मे खुद की नज़रों से गिर गये पर
तुझे हमेशा अपनी पलकों पर बिठाया है
मेरे ज़ज़्बात भी मेरे दिल को कचोटते है
पर तुझे मेरे दिल कि परवाह कहाँ
कभी अपना दोस्त भी ना समझा तुने
पर हमने हर बार अपना फर्ज निभाया है
.......................... Shubhashish(2004)
Monday, January 15, 2007
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