Monday, January 15, 2007

तुने अनदेखा किया

देख के भी तुने कितनी बार अनदेखा किया
पर दिल आखों मे आंसू भर के भी मुस्कूराया है
तेरी चाहत मे खुद की नज़रों से गिर गये पर
तुझे हमेशा अपनी पलकों पर बिठाया है
मेरे ज़ज़्बात भी मेरे दिल को कचोटते है
पर तुझे मेरे दिल कि परवाह कहाँ
कभी अपना दोस्त भी ना समझा तुने
पर हमने हर बार अपना फर्ज निभाया है
.......................... Shubhashish(2004)

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