करते है तुझसे प्यार बहुत फिर भी कुछ ना कहते हैं
है खबर तुझे क्या कि किस तरह हम दर्द दिल का सहते हैं
कुछ मजबूरीयाँ हैं जिससे हैं बाहुत मजबुर से हम
वरना तुझे बतला देते कि कैसे दिल मे रहते हैं
...............................................Shubhashish(1999)
Tuesday, January 09, 2007
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