Saturday, January 13, 2007

उम्मीद कैसे छोड दूँ

नदीयों की धाराओं को कैसे मोड दूँ
पलको के ख्वाब को कैसे तोड दूँ
तु मुझे चाहेगी, इतनी तो उम्मीद भी नही करता
पर तुझे पाने की उम्मीद कैसे मैं छोड दूँ
................................ Shubhashish(2003)

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