Thursday, September 12, 2013
Wednesday, May 14, 2008
My New Blog
मैं अपनी सारी रचनाएँ एक ब्लोग पे इकट्ठा कर रहा हूँ
मेरी नयी और पुरानी रचनाओं के लिए मेरा नया ब्लोग देखिये
URL http://apurn.wordpress.com
मेरी नयी और पुरानी रचनाओं के लिए मेरा नया ब्लोग देखिये
URL http://apurn.wordpress.com
Tuesday, October 02, 2007
एहसास नहीं रह जाता
जीने के लिये इस दुनिया में कुछ खास नही रह जाता है
सब कुछ होता है फिर भी कुछ पास नही रह जाता है
खुद अपने मे घुट कर जब अरमान युं ही मर जाये तो
इस हद के आगे दर्द का भी एहसास नहीं रह जाता है
................................................... Shubhashish(2007)
सब कुछ होता है फिर भी कुछ पास नही रह जाता है
खुद अपने मे घुट कर जब अरमान युं ही मर जाये तो
इस हद के आगे दर्द का भी एहसास नहीं रह जाता है
................................................... Shubhashish(2007)
खुदा भी पिघलता है
जब गम तेरा देख के दिल मुझसे नही सम्भलता है
तो तेरी खुशियों की खातिर दिल यूं ही दिन रात जलता है
ऐसे तो सुनता ही नही खुदा दुआ हमारी अक्सर
पर शायद कभी-कभी हमारे आँसुवों से वो भी पिघलता है
.......................................... Shubhashish(2007)
तो तेरी खुशियों की खातिर दिल यूं ही दिन रात जलता है
ऐसे तो सुनता ही नही खुदा दुआ हमारी अक्सर
पर शायद कभी-कभी हमारे आँसुवों से वो भी पिघलता है
.......................................... Shubhashish(2007)
Friday, February 02, 2007
बहुत गहरा समन्दर है
करते हैं वही जो हमारा उसूल है
युं ही समझ जाओगे हमें तुम्हारी भूल है
बहुत गहरा समन्दर है मेरे जज्बात-ए-इश्क का
बिन डुबे इसे नापने कि कोशिश फिजुल है
.................................... Shubhashish(2006)
युं ही समझ जाओगे हमें तुम्हारी भूल है
बहुत गहरा समन्दर है मेरे जज्बात-ए-इश्क का
बिन डुबे इसे नापने कि कोशिश फिजुल है
.................................... Shubhashish(2006)
उन्हें आवाज सुनाई नहीं देती
अब चाहता हूँ तो जिन्दगी रुसवाई नही देती
माना अन्धेरे मे अपनी परछाई दिखाई नही देती
जो अब तक करते थे बातें इशारों पे जान देने की
क्या अब उन्हें हमारी आवाज भी सुनाई नहीं देती
....................................... Shubhashish(2005)
माना अन्धेरे मे अपनी परछाई दिखाई नही देती
जो अब तक करते थे बातें इशारों पे जान देने की
क्या अब उन्हें हमारी आवाज भी सुनाई नहीं देती
....................................... Shubhashish(2005)
Sunday, January 28, 2007
इम्तेहां हो गई
मोहब्बत की मेरे इम्तेहां हो गई
सारी बातें खत्म बस यहां हो गई
खुद बरबाद हो गये जिनकी खातिर
बातें अब ये उनके लिये बचपना हो गयीं
.................................. Shubhashish(2005)
सारी बातें खत्म बस यहां हो गई
खुद बरबाद हो गये जिनकी खातिर
बातें अब ये उनके लिये बचपना हो गयीं
.................................. Shubhashish(2005)
एतबार की जरुरत किसको नहीं
एतबार की जरुरत किसको नहीं होती
एक यार की जरुरत किसको नहीं होती
मिलता नहीं कोइ हमसफर साथ निभाने के लिये
वरना प्यार की जरुरत किसको नहीं होती
............................... Shubhashish(2005)
एक यार की जरुरत किसको नहीं होती
मिलता नहीं कोइ हमसफर साथ निभाने के लिये
वरना प्यार की जरुरत किसको नहीं होती
............................... Shubhashish(2005)
कौन मेरा साथ निभायेगा
ढूढता था कि कौन मेरा साथ निभायेगा साये की तरह
सोचता था कि कौन मेरे जज्बातों को समझेगा यहाँ
पर जब खयाल आयाउनका जिन्होने हमे कभी अकेला नही छोडा
तो लगा इन ' तन्हाइयों ' से अच्छा साथी मुझे मिलेगा कहाँ
........................................ Shubhashish(2005)
सोचता था कि कौन मेरे जज्बातों को समझेगा यहाँ
पर जब खयाल आयाउनका जिन्होने हमे कभी अकेला नही छोडा
तो लगा इन ' तन्हाइयों ' से अच्छा साथी मुझे मिलेगा कहाँ
........................................ Shubhashish(2005)
कभी लडखडा के तो देख
यूँ तो हर चाहने वाला तेरे सपने सजाता निगाहों मे है
पर कभी सोचा कि ये फुल बिखेरता कौन तेरी राहों में है
तुझे बस अपनी ओर बुलाते हैं ये जमाने भर के हाथ
पर कभी लडखडा के तो देख तु गिरती किसकी बाहों मे है
................................ Shubhashish(2005)
पर कभी सोचा कि ये फुल बिखेरता कौन तेरी राहों में है
तुझे बस अपनी ओर बुलाते हैं ये जमाने भर के हाथ
पर कभी लडखडा के तो देख तु गिरती किसकी बाहों मे है
................................ Shubhashish(2005)
प्यार सामने होता है
प्यार सामने होता है उससे इकरार सामने होता है
हम जिससे मोहब्बत करते हैं उसका इन्तजार सामने होता है
इस दबे हुए दिल मे भी तब आँसू कि लडी लग जाती है
जब किसी गैर कि बाहों मे अपना यार सामने होता है
................................. Shubhashish(2005)
हम जिससे मोहब्बत करते हैं उसका इन्तजार सामने होता है
इस दबे हुए दिल मे भी तब आँसू कि लडी लग जाती है
जब किसी गैर कि बाहों मे अपना यार सामने होता है
................................. Shubhashish(2005)
कल फिर
कल फिर कुछ पहलू अनछुए से रह गये
कल फिर कुछ वादे अनकहे से रह गये
शायद मै जानता था कि ये आखिरी मुलाकात है
तभी कई अरमान दिल में दबे रह गये
.......................................... Shubhashish(2005)
कल फिर कुछ वादे अनकहे से रह गये
शायद मै जानता था कि ये आखिरी मुलाकात है
तभी कई अरमान दिल में दबे रह गये
.......................................... Shubhashish(2005)
Friday, January 26, 2007
याद मे ज़िन्दगी गुजर जाये
बस यूँ ही उनकी याद मे ज़िन्दगी गुजर जाये
जिन्दगी की ये नाव कही तो जाके ठहर जाये
उम्मीद थी इस जिंदगी से वफा की, तुम रहे जब तक
पर अब डरता हूँ कही मौत भी बेवफाई ना कर जाये
............................................. Shubhashish(2005)
जिन्दगी की ये नाव कही तो जाके ठहर जाये
उम्मीद थी इस जिंदगी से वफा की, तुम रहे जब तक
पर अब डरता हूँ कही मौत भी बेवफाई ना कर जाये
............................................. Shubhashish(2005)
तेरे लिये मिट जायें
दर्द उठायेंगे तुझे खुशीयाँ दिलाने क लिए
जल जायेंगे तेरी राहों से अन्धेरा मिटाने के लिए
तेरे लिये मिट जायें, तु ना जाने तो क्या
काँटे तो होते ही हैं फूलों को बचाने के लिए
...................................... Shubhashish(2004)
जल जायेंगे तेरी राहों से अन्धेरा मिटाने के लिए
तेरे लिये मिट जायें, तु ना जाने तो क्या
काँटे तो होते ही हैं फूलों को बचाने के लिए
...................................... Shubhashish(2004)
Wednesday, January 17, 2007
पा लिया है सब कुछ
बस खुशीयाँ ही पायी हैं तेरे इश्क की छाँव में
कई मंजिले पायी हमने इस इश्क की राहो में
एक प्यार तेरा पाकर लगता है पा लिया है सब कुछ
बस आखिरी ख्वाहीश है दम निकले तेरी बाँहो मे
................................ Shubhashish(2004)
कई मंजिले पायी हमने इस इश्क की राहो में
एक प्यार तेरा पाकर लगता है पा लिया है सब कुछ
बस आखिरी ख्वाहीश है दम निकले तेरी बाँहो मे
................................ Shubhashish(2004)
हालात
हालातो ने सुनहरे ख्वाब खोने ही नहीं दिया
उन इश्क यादों ने फिर कभी सोने ही नहीं दिया
उम्र गुजार देते उनके साथ बिताये कुछ लम्हों क सहारे
पर किस्मत ने हमें साथ जी भर के रोने भी नहीं दिया
............................... Shubhashish(2004)
उन इश्क यादों ने फिर कभी सोने ही नहीं दिया
उम्र गुजार देते उनके साथ बिताये कुछ लम्हों क सहारे
पर किस्मत ने हमें साथ जी भर के रोने भी नहीं दिया
............................... Shubhashish(2004)
Subscribe to:
Posts (Atom)