जीने के लिये इस दुनिया में कुछ खास नही रह जाता है
सब कुछ होता है फिर भी कुछ पास नही रह जाता है
खुद अपने मे घुट कर जब अरमान युं ही मर जाये तो
इस हद के आगे दर्द का भी एहसास नहीं रह जाता है
................................................... Shubhashish(2007)
Tuesday, October 02, 2007
खुदा भी पिघलता है
जब गम तेरा देख के दिल मुझसे नही सम्भलता है
तो तेरी खुशियों की खातिर दिल यूं ही दिन रात जलता है
ऐसे तो सुनता ही नही खुदा दुआ हमारी अक्सर
पर शायद कभी-कभी हमारे आँसुवों से वो भी पिघलता है
.......................................... Shubhashish(2007)
तो तेरी खुशियों की खातिर दिल यूं ही दिन रात जलता है
ऐसे तो सुनता ही नही खुदा दुआ हमारी अक्सर
पर शायद कभी-कभी हमारे आँसुवों से वो भी पिघलता है
.......................................... Shubhashish(2007)
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