Thursday, October 19, 2006

परछाई

अब चाहता हूँ तो जिंदगी रूसवाई नही देती
अंधेरे मे अपनी परछाई भी दिखाई नही देती
जो अब तक हमसे करते थे वादे जान देने के
क्या अब हमारी आवाज भी उन्हे सुनाई नहीं देती
---------------------------------------------------- Shubhashish(2006)

आँसू

जब गम तेरा देख के दिल मुझसे नही सम्भलता है
तो तेरी खुशियों की खातिर दिल यूं ही दिन रात जलता है
ऐसे तो सुनता ही नही खुदा दुआ हमारी अक्सर
पर शायद कभी-कभी हमारे आँसुवों से वो भी पिघलता है

---------------------- Shubhashish(2006)