हर किसी को किसी की तलाश है
हर कोई ढुंढता अपने लिए कोई खास है
साफ नजर आ जायेगा जरा गौर से देखो
शायद वो कहीं तुम्हारे ही आस-पास है
............................ Shubhashish(2003)
Saturday, January 13, 2007
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"शेर"॰॰॰ कहने को बस चंद पंक्तिया, पर अपने आप में ना जाने कितनी गहराईयों को छुपाये हुये हैं। शेरो-शायरी को देखने का नज़रिया लोगों का भले ही कुछ भी हो पर ये लिखने वाले के दिल की वो छटपटाहट होती है जिसे वो रात-दिन महसुस करता है। और यही बेचैनी जब शब्दों का रूप ले के उसके कलम से निकलती है तो पढने वाले के दिल को भी झकझोर जाती है और छोड जाती है अपने पीछे कई सवाल जिनके जावाब ॰॰॰॰ शायद कहीं नही होते॰॰॰॰
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