कल फिर कुछ पहलू अनछुए से रह गये
कल फिर कुछ वादे अनकहे से रह गये
शायद मै जानता था कि ये आखिरी मुलाकात है
तभी कई अरमान दिल में दबे रह गये
.......................................... Shubhashish(2005)
Sunday, January 28, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment