Friday, February 02, 2007

बहुत गहरा समन्दर है

करते हैं वही जो हमारा उसूल है
युं ही समझ जाओगे हमें तुम्हारी भूल है
बहुत गहरा समन्दर है मेरे जज्बात-ए-इश्क का
बिन डुबे इसे नापने कि कोशिश फिजुल है
.................................... Shubhashish(2006)

1 comment:

Julez said...

am waiting for something new on ur blog.....