Shayari

"शेर"॰॰॰ कहने को बस चंद पंक्तिया, पर अपने आप में ना जाने कितनी गहराईयों को छुपाये हुये हैं। शेरो-शायरी को देखने का नज़रिया लोगों का भले ही कुछ भी हो पर ये लिखने वाले के दिल की वो छटपटाहट होती है जिसे वो रात-दिन महसुस करता है। और यही बेचैनी जब शब्दों का रूप ले के उसके कलम से निकलती है तो पढने वाले के दिल को भी झकझोर जाती है और छोड जाती है अपने पीछे कई सवाल जिनके जावाब ॰॰॰॰ शायद कहीं नही होते॰॰॰॰

Thursday, September 12, 2013

BackBenchers (Official)

Posted by Shubhashish Pandey at 4:56 AM No comments:
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मै कौन हूँ

अपने आस्तित्व को तलाशता मैं बस यूँ ही कभी-कभी लिख देता हूँ पर आज ये लेखनी भी अपना आस्तित्व ढूढने लगी है। मैं कौन हूँ शायद इस सवाल का जवाब तो मेरे पास नहीं हैं पर हां खुद को ढुढने मे शायद मेरी लेखनी का कुछ आस्तित्व बन जाये॰॰॰
जिनके जवाब नहीं मिलते
वो सवाल बताता हूँ
जो लोगो के लिये दिल मे आते हैं
वो खयाल बताता हूँ
मुझे नहीं करनी आती
ये शायरी-वायरी
मैं तो बस इन पन्नों को
दिल का हाल बताता हूँ .
----------Shubhashish(2005)

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